हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जौनपुर/मोहर्रम का चांद दिखते ही शहर के शिया बाहुल इलाकों में मुख्य रूप से मजलिसों और मातमो का दौर आरंभ हो गया। हर तरफ से या हुसैन हाय हुसैन की सदांए बुलन्द होने लगी। नगर के बलुआ घाट स्थित अंजुमन हुसैनिया के नेतृत्व में रीठीतले के इमामबाड़े में मजलिस के बाद अलम और ताबूत जुलूस निकाला गया
जिसमें अंजुमन हुसैनिया ने नोहा मातम किया इमलीतला स्थित मीर सैय्यद अली मरहूम के इमामबाड़े में मौलाना जफर आज़मी ने मजलिस को खेताब करते हुए कर्बला में हजरत इमाम हुसैन उनके 71 साथियों की कुर्बानी को याद किया अंजुमन कौसरिया कर्बला के शहीदों नौहा मातम कर नज़राने अकीदत पेश किया।
इसी क्रम में पहली मोहर्रम को शहरी क्षेत्र चहारसू चौराहा स्थित शेख नूरुल मेमोरियल सोसायटी कार्यालय पर विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी मजलिस का आयोजन किया गया।
मजलिस को जाकिर ए अहलेबैत जनाब डॉक्टर अबरार हुसैन साहब ने संबोधित कर उन्होंने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि व आयलेही वसल्लम के नवासे हज़रत इमाम हुसैन अ,स, ने यजीदी फौज से हिंदुस्तान,हिंद ,जाने की ख्वाहिश जाहिर किया था यजीद की फौज ने हज़रत इमाम हुसैन को हिंदुस्तान जाने के लिए रास्ता नहीं दिया और उन्हें घेर कर कर्बला ले गए और वहीं पर जालिमों ने 3 दिन का भूखे और प्यासे हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को कत्ल कर दिया।
यहां तक की 6 माह के बच्चे हज़रत अली असगर अ,स,को भी जालिमों ने नहीं बख्शा। मसायब को सुनकर सैकड़ो की संख्या में उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गई बात खत्म मजलिस अंजुमन कासिमिया चहारसू चौराहा के नईम हैदर उर्फ मुन्ने के नेतृत्व में नौहा और मातम किया गया।मजलिस का आयोजन समाजसेवी शेख अली मंज़र डेज़ी ने तबरूक उपस्थित लोगों को तकसीम किया।